TAO UPNISHAD VOLUME 1 TO 6
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भारत की तरह चीन ने भी धरती पर सबसे पुरानी व समृद्ध सभ्यता की विरासद पायी है। कोई छह हजार वर्षों का उसका ज्ञात इतिहास है-अर्जनों और उपलब्धियों से लदा हुआ। और यदि पूछा जाए कि चीन के इस लंबे और शानदार इतिहास में सबसे उजागर व्यक्तित्व, कौन हुआ, तो आज का प्रबुद्ध जगत बिना हिचकिचाहटके लाओत्से का नाम लेगा। कुछ समय पूर्व इस प्रश्न के उत्तर में शायद कनफ्यूाशियस का नाम लिया जाता कनफ्यूशियस लाओत्से का समसामयिक था। और यह भी सच है कि बीते समय के चीनी समाज पर लाओत्से की जीवन-दृष्टि के बजाय कनफ्यूशियस के नीतिवादी विचार अधिक प्रभावी सिद्ध हुए।समय के थोड़े से अंतर के साथ भारत के बुद्ध और महावीर तथा यूनान के सुकरात भी लाओत्से के समकालीन थे।अचरज की बात है कि चीनी इतिहास को अपने सर्वाधिक मूल्यवान महापुरुष के जीवन-वृत्त् के संबंध में सबसे कम तथ्य मालूम हैं। लेकिन यह दुर्घटना लाओत्से की असाधारण दृष्टि के बिलकुल अनुकूल पड़ती है। उनका ही यह वचन है ‘इसलिए संत अपने व्यक्तित्व को सदा पीछे रखते हैं।यह ग्रंथ गागर में सागर भरने की अपूर्व और सफल चेष्टा है। प्राचीन समय के ज्ञानी अपनी बात, अपना दर्शन सूत्र रूप में या बीज-मंत्रों की तरह अभिव्यक्त करते थे। ताओं उपनिषद इस दृष्टि से भी अप्रतिम है। उसकी वाणी पाठकों को हमारे देश के संत कबीर की उलटवासियों की याद दिलाएगी। जीवन की आदिम सहजता और व्स्वाभाविकता की, निर्दोषित और रहस्यता की जैसी हिमायत की है लाओत्से ने, वह कबीर के अत्यंत निकट पड़ती है।
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