• Abhi Yahin Yah/अभी यहीं यह Quick View
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      Abhi Yahin Yah/अभी यहीं यह Quick View
    • Abhi Yahin Yah/अभी यहीं यह

    • 180.00
    • इस पुस्तक में ओशो ने परमात्मा तक पहुंचने के लिए सद्गुरु की अनिवार्यता बताई है और कहा है कि अपने लक्ष्य को जानो और यात्रा को छोटा करो, उसमें हर्ष और आनंद के रंग भरो और देखो कि तुम्हें कहीं दूर नहीं जाना है|
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  • Diya Tale Andhera (दीया तले अंधेरा) Quick View
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      Diya Tale Andhera (दीया तले अंधेरा) Quick View
    • Diya Tale Andhera (दीया तले अंधेरा)

    • 380.00
    • ओशो के साथ बहुत कुछ असंभव संभव हुआ है, जैसे कि इस पुस्तक में झेन और सूफी जैसे दो विपरीत मार्गों का एक साथ जुड़ आना।पुस्तक का प्रारंभ ओशो करते हैं कहीं अन्यत्र कहे अपने ही एक वचन की व्याख्या से और फिर लिए चलते हैं सूफी व झेन बोधकथाओं के जगत में, उन पर चर्चा करते हुए, उनकी परिस्थितियों…
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  • SAHAJ SAMADHI BHALI (ZEN AUR SUFI KAHANI )SAHAJ SAMADHI BHALI (ZEN AUR SUFI KAHANI ) Quick View
  • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1) Quick View
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      Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1) Quick View
    • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1)

    • 200.00
    • सहज-समाधि का अर्थ है कि परमात्मा तो उपलब्ध ही है; तुम्हारे उपाय की जरूरत नहीं है। तुम कैसे पागल हुए हो! पाना तो उसे पड़ता है, जो मिला न हो। तुम उसे पाने की कोशिश कर रहे हो, जो मिला ही हुआ है। जैसे सागर की कोई मछली सागर की तलाश कर रही हो। जैसे आकाश का कोई पक्षी आकाश…
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  • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2) Quick View
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      Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2) Quick View
    • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2)

    • 250.00
    • धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है। बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो भी वे बोलते हैं, वह धर्म नहीं है।…
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  • Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1)Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1) Quick View
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      Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1)Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1) Quick View
    • Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1)

    • 325.00
    • सरहपा के सूत्र साफ-सुथरे हैं। पहले वे निषेध करेंगे। जो-जो औपचारिक है, गौण है, बाह्य है, उसका खंडन करेंगे; फिर उस नेति-नेति के बाद जो सीधा सा सूत्र है वज्रयान का, सहज-योग, वह तुम्हें देंगे। सरल सी प्रक्रिया है सहज-योग की, अत्यंत सरल! सब कर सकें, ऐसी। छोटे से छोटा बच्चा कर सके, ऐसी। उस प्रक्रिया को ही मैं ध्यान…
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  • Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2)Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2) Quick View
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      Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2)Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2) Quick View
    • Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2)

    • 325.00
    • सरहपा और तिलोपा क्रियाकांड और अनुष्ठान को धर्म नहीं कहते। तुम पूछते होः कृपया बताएं कि उनके अनुसार धर्म क्या है?' वैसा चैतन्य, जिसमें न कोई क्रियाकांड है, न कोई अनुष्ठान है, न कोई विचार है, न कोई धारणा है, न कोई सिद्धांत है, न कोई शास्त्र है। वैसा दर्पण, जिसमें कोई प्रतिछवि नहीं बन रही--न स्त्री की, न पुरुष…
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  • SAHAJ YOG( Complete)SAHAJ YOG( Complete) Quick View
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      SAHAJ YOG( Complete)SAHAJ YOG( Complete) Quick View
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    • SAHAJ YOG( Complete)

    • 600.00
    • सिद्धों का एक महान संदेश, ‘जागो’, ओशो की वाणी द्वारा इन प्रवचनों में और भी अधिक मुखरित हुआ है। ओशो कहते हैं : ‘‘जागो, मन जागरण की बेला! और जागरण की बेला हमेशा है। ऐसा कोई क्षण नहीं जब तुम जाग न सको। ऐसा कोई पल नहीं जब तुम पलक न खोल सको। आंख बंद किए हो यह तुम्हारा निर्णय…
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  • Zen Ki Ghoshna: Swayam Se Mukti (ज़ेन की घोषणा स्वयं … मुक्ति) Quick View
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      Zen Ki Ghoshna: Swayam Se Mukti (ज़ेन की घोषणा स्वयं … मुक्ति) Quick View
    • Zen Ki Ghoshna: Swayam Se Mukti (ज़ेन की घोषणा स्वयं … मुक्ति)

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    • बुद्धत्व कभी भी समय या स्थान में नहीं घटता। कब और कहाँ तो समय और स्थान हैं। यह तो तब घटता है, जब तुम कहीं भी नहीं होते, कुछ भी नहीं होते। वह तो समय के पार शाश्वतता में घटता है। पश्चिम के सभी बुद्धिजीवी जेन में अत्यधिक दिलचस्पी लेने लगे हैं, लेकिन उनकी रुचि बुद्धिगत ही है। उन्होंने ज़ेन…
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  • ज़ेन और सूफ़ी कहानी पर 5 श्रेष्ठ पुस्‍तके (5 Books Set Of Zen And Sufi Kahani)ज़ेन और सूफ़ी कहानी पर 5 श्रेष्ठ पुस्‍तके (5 Books Set Of Zen And Sufi Kahani) Quick View
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      ज़ेन और सूफ़ी कहानी पर 5 श्रेष्ठ पुस्‍तके (5 Books Set Of Zen And Sufi Kahani)ज़ेन और सूफ़ी कहानी पर 5 श्रेष्ठ पुस्‍तके (5 Books Set Of Zen And Sufi Kahani) Quick View
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    • ज़ेन और सूफ़ी कहानी पर 5 श्रेष्ठ पुस्‍तके (5 Books Set Of Zen And Sufi Kahani)

    • 900.00
    • ओशो के साथ बहुत कुछ असंभव संभव हुआ है, जैसे कि झेन और सूफी जैसे दो विपरीत मार्गों का एक साथ जुड़ आना। प्रारंभ ओशो करते हैं कहीं अन्यत्र कहे अपने ही एक वचन की व्याख्या से और फिर लिए चलते हैं सूफी व झेन बोधकथाओं के जगत में, उन पर चर्चा करते हुए, उनकी परिस्थितियों को पुनरुज्जीवित करते हुए,…
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