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GUNGE KERI SARKARA
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कबीरः सत्संग का संगीत अकथ कहानी प्रेम की, कछु कही न जाय। गूंगे केरी सरकरा, खाइ और मुसकाय।। एक-एक शब्द बहुमूल्य है। उपनिषद फीके पड़ जाते हैं कबीर के सामने। वेद दयनीय मालूम पड़ने लगता है। कबीर बहुत अनूठे हैं। बेपढ़े-लिखे हैं, लेकिन जीवन के अनुभव से उन्होंने कुछ सार पा लिया है। और चूंकि वे पंडित नहीं हैं, इसलिए सार की बात संक्षिप्त में कह दी है। उसमें विस्तार नहीं है। बीज की तरह उनके वचन हैं–बीज-मंत्र की भांति। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: जीवन का सूत्र है : असुरक्षा में जीना प्रेम साधना का सार-तत्व है अकेले होने का साहस समाज निर्मित अंतकरण से मुक्ति मनस्विद और मनोविश्लेषण धर्म की सारी कला मृत्यु की कला है – जीते-जी मर जाना |
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Additional information
Weight | 6279549 g |
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Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
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- vividh
KARUNA AUR KRANTI
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