• Jin Sutra Vol. 3 Quick View
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      Jin Sutra Vol. 3 Quick View
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    • Jin Sutra Vol. 3

    • 480.00
    • महावीर पहले मनुष्य हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर धर्म को युवा के साथ जोड़ा और कहा, यौवन और धर्म का गहन मेल है। क्योंकि ऊर्जा चाहिए यात्रा के लिए, संघर्ष के लिए, तपश्चर्या के लिए, संयम के लिए, विवेक के लिए, बोध के लिए--ऊर्जा चाहिए। ऊर्जा के अश्व पर ही सवार होकर तो हम पहुंच सकेंगे। इसलिए कल पर मत टालना।
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  • Jin Sutra Vol. 4 Quick View
  • Jiwan ki khoj Quick View
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      Jiwan ki khoj Quick View
    • Jiwan ki khoj

    • 260.00
    • प्यास जीवन क्या है? उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है, जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए, हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं, वह जीवन नहीं है। जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता…
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  • JIWAN SANGEET Quick View
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      JIWAN SANGEET Quick View
    • JIWAN SANGEET

    • 600.00
    • "जो वीणा से संगीत के पैदा होने का नियम है, वही जीवन-वीणा से संगीत पैदा होने का नियम भी है। जीवन-वीणा की भी एक ऐसी अवस्था है, जब न तो उत्तेजना इस तरफ होती है, न उस तरफ। न खिंचाव इस तरफ होता है, न उस तरफ। और तार मध्य में होते हैं। तब न दुख होता है, न सुख…
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  • Joshu: The Lion’s Roar Quick View
  • Jyon Ki Tyon Dhar Deenhi Chadariya Quick View
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      Jyon Ki Tyon Dhar Deenhi Chadariya Quick View
    • Jyon Ki Tyon Dhar Deenhi Chadariya

    • 500.00
    • इस पुस्तक में ओशो आत्म-जागरण के उन पांच वैज्ञानिक उपकरणों पर चर्चा करते हैं जिन्हें पंच-महाव्रत के नाम से जाना जाता है--अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य, अकाम व अप्रमाद। ये पंच-महाव्रत जब ओशो की रसायन शाला में आते हैं तो ओशो अप्रमाद यानि होश, अवेयरनेश को बाकी चार से अलग कर लेते हैं और उसे विस्तीर्ण रूप से समझाते हुए एक मास्टर…
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  • Jyotish Vigyan Quick View
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    • Jyotish Vigyan

    • 250.00
    • ज्योतिष के तीन हिस्से हैं। एक, जिसे हम कहें अनिवार्य, एसेंशियल, जिसमें रत्ती भर फर्क नहीं होता। वही सर्वाधिक कठिन है उसे जानना। फिर उसके बाहर की परिधि है: नॉन-एसेंशियल, जिसमें सब परिवर्तन हो सकते हैं। मगर हम उसी को जानने को उत्सुक होते हैं। और उन दोनों के बीच में एक परिधि है--सेमी-एसेंशियल, अर्द्ध अनिवार्य, जिसमें जानने से परिवर्तन…
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  • Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया)Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया) Quick View
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      Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया)Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया) Quick View
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    • Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया)

    • 250.00
    • अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है। अहिंसा-वहह परिणाम है. हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह-वहह परिणाम है, परिग्रह स्थिति है। अचौर्य-वहह परिणाम है, चौर्य, चोरी स्थिति है। अकाम--वह परिणाम है, काम, वासना, कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है, वह है--अप्रमाद, अवेयरनेस, रिमेंबरिंग, स्मरण। प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो।…
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  • JYUN THA TYUN THAHRAYAJYUN THA TYUN THAHRAYA Quick View
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      JYUN THA TYUN THAHRAYAJYUN THA TYUN THAHRAYA Quick View
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    • JYUN THA TYUN THAHRAYA

    • 750.00
    • "मैं तो इतना ही चाहता हूं तुमसे कि तुम सारे पक्षपातों से मुक्त हो जाना। मेरी बातों को भी मत पकड़ना, क्योंकि मेरी बातें पकड़ोगे, तो वे पक्षपात बन जाएंगी। बातें ही मत पकड़ना। तुम्हें निर्विचार होना है। तुम्हें मौन होना है। तुम्हें शून्य होना है। तभी तुम्हारे भीतर ध्यान का फूल खिलेगा। और ध्यान का फूल खिल जाए तो…
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  • Ka Sovae Din Rain Quick View