JYUN THA TYUN THAHRAYA
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“मैं तो इतना ही चाहता हूं तुमसे कि तुम सारे पक्षपातों से मुक्त हो जाना। मेरी बातों को भी मत पकड़ना, क्योंकि मेरी बातें पकड़ोगे, तो वे पक्षपात बन जाएंगी। बातें ही मत पकड़ना। तुम्हें निर्विचार होना है। तुम्हें मौन होना है। तुम्हें शून्य होना है। तभी तुम्हारे भीतर ध्यान का फूल खिलेगा। और ध्यान का फूल खिल जाए तो अमृत तुम्हारा है, परमात्मा तुम्हारा है। एस धम्मो सनंतनो! और ध्यान का फूल खिल जाए, तो रज्जब की बात तुम्हें समझ में आ जाएगी: ज्यूं था त्यूं ठहराया! तुम वहीं ठहर जाओगे, जो तुम्हारा स्वभाव है। स्वभाव में थिर हो जाना इस जगत में सबसे बड़ी उपलब्धि है।” ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: संस्कार का क्या अर्थ है? जीवन में इतना विरोधाभास क्यों है? मै ध्यान ‘क्यों’ करूं? यह जीवन क्या है? इस जीवन का सत्य क्या है? सत्य की कोई परंपरा नहीं होती? भारत क्यों विज्ञान को जन्म नहीं दे पाया?
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Additional information
Weight | 6279549 g |
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Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
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