PATH KI KHOJ
₹400.00
“जो होशपूर्वक अपनी सारी क्रियाएं करेगा, इंद्रियों के सारे संबंधों में होश को जाग्रत रखेगा, निरंतर उसका स्मरण रखेगा जो भीतर बैठा है, उसका नहीं जो बाहर दिखाई पड़ रहा है, क्रमशः उसकी दृष्टि में परिवर्तन उत्पन्न होगा। रूप की जगह वह दिखाई पड़ेगा जो रूप को देखने वाला है। सारी क्रियाओं के बीच उसका अनुभव होगा जो कर्ता है। निरंतर के स्मरण, निरंतर की स्मृति–उठते-बैठते सतत चौबीस घंटे की जागरूक साधना के माध्यम से व्यक्ति इंद्रियों के उपयोग के साथ भी इंद्रियों से मुक्त हो जाता है–दृश्य विलीन हो जाते हैं, द्रष्टा का साक्षात शुरू हो जाता है। इंद्रियों का निरोध होता है, इंद्रियां रुकती हैं। उनका बहिर्गमन विलीन हो जाता है, वे अंतर्गमन को उपलब्ध हो जाती हैं।” ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: कैसे होगा इंद्रिय-निरोध? पुण्य और पाप की परिभाषा स्वयं की खोज का विज्ञान विद्रोह का क्या अर्थ है?
2 in stock
Additional information
Weight | 6279549 g |
---|---|
Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
-
- Sale!
- vividh
Jeevan Kranti Ke Sutra
- ₹300.00
- Add to cart
-
- Sale!
- sant vani
Man Hi Pooja Man Hi Dhoop
- ₹570.00
- Add to cart
-
- Sale!
- vividh
Jyotish Vigyan
- ₹250.00
- Add to cart
-
- Out of StockSale!
- atam katha, Hindi Books
Osho Maha Sagar Ki Pukar
- ₹450.00
- Read more
-
Reviews
There are no reviews yet.