Man Hi Pooja Man Hi Dhoop
₹570.00
एक दुर्घटना हुई है। और वह दुर्घटना है: मनुष्य की चेतना बहिर्मुखी हो गई है। सदियों से धीरे-धीरे यह हुआ, शनैः-शनैः, क्रमशः-क्रमशः। मनुष्य की आंखें बस बाहर थिर हो गई हैं, भीतर मुड़ना भूल गई हैं। तो कभी अगर धन से ऊब भी जाता है–और ऊबेगा ही कभी; कभी पद से भी आदमी ऊब जाता है–ऊबना ही पड़ेगा, सब थोथा है। कब तक भरमाओगे अपने को? भ्रम हैं तो टूटेंगे। छाया को कब तक सत्य मानोगे? माया का मोह कब तक धोखे देगा? सपनों में कब तक अटके रहोगे? एक न एक दिन पता चलता है सब व्यर्थ है। लेकिन तब भी एक मुसीबत खड़ी हो जाती है। वे जो आंखें बाहर ठहर गई हैं, वे आंखें अब भी बाहर ही खोजती हैं। धन नहीं खोजतीं, भगवान खोजती हैं–मगर बाहर ही। पद नहीं खोजतीं, मोक्ष खोजती हैं–लेकिन बाहर ही। विषय बदल जाता है, लेकिन तुम्हारी जीवन-दिशा नहीं बदलती। और परमात्मा भीतर है, यह अंतर्यात्रा है। ओशो
3 in stock
Additional information
Weight | 6279549 g |
---|---|
Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
-
- Out of StockSale!
- English Books, sufism
The Silence of the Heart: Talks on Sufi Stories
- ₹250.00
- Read more
-
-
- Out of StockSale!
- English Books, sufism
The Secret
- ₹250.00
- Read more
-
-
- Out of StockSale!
- English Books, published letter
Flowers of Love – Letters written by Osho to disciples and friends
- ₹450.00
- Read more
-
-
- Sale!
- Hindi Books, sant vani
Shiv Sutra (शिव सूत्र)
- ₹250.00
- Add to cart
-
- Sale!
- vividh
KYA MANUSYA EK YANTRA HAI
- ₹300.00
- Add to cart
-
- Out of StockSale!
- Hindi Books, rajneeti aur samaj
Swarn parkhi tha jo kabhi
- ₹1,080.00
- Read more
-
Reviews
There are no reviews yet.