Main Dharmikta Sikhata Hoon Dharm Nahin
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Description
“मेरी दृष्टि में तो धर्म एक गुण है, गुणवत्ता है; कोई संगठन नहीं, संप्रदाय नहीं। ये सारे धर्म जो दुनिया में हैं—और उनकी संख्या कम नहीं है, पृथ्वी पर कोई तीन सौ धर्म हैं—वे सब मुर्दा चट्टानें हैं। वे बहते नहीं, वे बदलते नहीं, वे समय के साथ-साथ चलते नहीं। और स्मरण रहे कि कोई चीज जो स्वयं निष्प्राण है, तुम्हारे किसी काम आने वाली नहीं। हां, अगर तुम उनसे अपनी कब्र ही निर्मित करना चाहो तो अलग बात है, शायद फिर वे पत्थर उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। धार्मिकता तुम्हारे हृदय की खिलावट है। वह तो स्वयं की आत्मा के, अपनी ही सत्ता के केंद्र बिंदु तक पहुंचने का नाम है। और जिस क्षण तुम अपने अस्तित्व के ठीक केंद्र पर पहुंच जाते हो, उस क्षण सौंदर्य का, आनंद का, शांति का और आलोक का विस्फोट होता है। तुम एक सर्वथा भिन्न व्यक्ति होने लगते हो। तुम्हारे जीवन में जो अंधेरा था वह तिरोहित हो जाता है, और जो भी गलत था वह विदा हो जाता है। फिर तुम जो भी करते हो वह परम सजगता और पूर्ण समग्रता के साथ होता है।”—ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: वास्तविक धर्म क्या है? क्या मनुष्य को धर्म की आवश्यता है? सभी धर्म कामवासना के विरोध में क्यों हैं? आज मनुष्य इतना विषाद में क्यों है? जीवन का उद्देश्य क्या है?
Additional information
Weight | 6279549 g |
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Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
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