• Piv Piv Lagi Pyas (पिव पिव लागी प्यास) Quick View
    • Sale!
      Piv Piv Lagi Pyas (पिव पिव लागी प्यास) Quick View
    • Piv Piv Lagi Pyas (पिव पिव लागी प्यास)

    • 200.00
    • मन चित चातक ज्यूं रटै, पिव पिव लागी प्यास। नदी बह रही है, तुम प्यासे खड़े हो; झुको, अंजुली बनाओ हाथ की, तो तुम्हारी प्यास बुझ सकती है। लेकिन तुम अकड़े ही खड़े रहो, जैसे तुम्हारी रीढ़ को लकवा मार गया हो, तो नदी बहती रहेगी तुम्हारे पास और तुम प्यासे खड़े रहोगे। हाथ भर की ही दूरी थी, जरा…
    • Add to cart
  • Placeholder Image
    • Sale!
      Placeholder Image
    • Prabhu Ki Pagdandiyan (प्रभु की पगडंडियां)

    • 150.00
    • करुणा यानी एक जीवंत प्रेम का प्रवाह। करुणा का अर्थ है: बहता हुआ प्रेम। जिसे हम प्रेम कहते हैं वह प्रेम बंधा हुआ प्रेम है, वह किसी एक पर बंध कर बैठ जाता है। और प्रेम जब बंध जाता है तब वह भी करुणापूर्ण नहीं रह जाता है, वह भी हिंसापूर्ण हो जाता है। जब मैं किसी एक को प्रेम…
    • Add to cart
  • Prem Kya Hai Quick View
  • Sadhana Sutra Quick View
    • Sale!
      Sadhana Sutra Quick View
    • ,
    • Sadhana Sutra

    • 625.00
    • थोड़े से साहस की जरूरत है और आनंद के खजाने बहुत दूर नहीं हैं। थोड़े से साहस की जरूरत है और नर्क को आप ऐसे ही उतार कर रख सकते हैं, जैसे कि कोई आदमी धूल-धवांस से भर गया हो रास्ते की, राह की, और आ कर स्नान कर ले और धूल बह जाए। बस ऐसे ही ध्यान स्नान है।…
    • Add to cart
  • SAHAJ SAMADHI BHALI (ZEN AUR SUFI KAHANI )SAHAJ SAMADHI BHALI (ZEN AUR SUFI KAHANI ) Quick View
  • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1) Quick View
    • Sale!
      Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1) Quick View
    • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 1 (सहज समाधि भली, भाग – 1)

    • 200.00
    • सहज-समाधि का अर्थ है कि परमात्मा तो उपलब्ध ही है; तुम्हारे उपाय की जरूरत नहीं है। तुम कैसे पागल हुए हो! पाना तो उसे पड़ता है, जो मिला न हो। तुम उसे पाने की कोशिश कर रहे हो, जो मिला ही हुआ है। जैसे सागर की कोई मछली सागर की तलाश कर रही हो। जैसे आकाश का कोई पक्षी आकाश…
    • Add to cart
  • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2) Quick View
    • Sale!
      Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2)Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2) Quick View
    • Sahaj Samadhi Bhali, Vol. – 2 (सहज समाधि भली, भाग – 2)

    • 250.00
    • धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है। बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो भी वे बोलते हैं, वह धर्म नहीं है।…
    • Add to cart
  • Sahaj Yog Quick View
    • Out of Stock
      Sale!
      Sahaj Yog Quick View
    • ,
    • Sahaj Yog

    • 1,250.00
    • सिद्धों का एक महान संदेश, ‘जागो’, ओशो की वाणी द्वारा इन प्रवचनों में और भी अधिक मुखरित हुआ है। ओशो कहते हैं : ‘‘जागो, मन जागरण की बेला! और जागरण की बेला हमेशा है। ऐसा कोई क्षण नहीं जब तुम जाग न सको। ऐसा कोई पल नहीं जब तुम पलक न खोल सको। आंख बंद किए हो यह तुम्हारा निर्णय…
    • Read more
  • Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1)Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1) Quick View
    • Sale!
      Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1)Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1) Quick View
    • Sahaj Yog, Vol. – 1 (सहज योग, भाग – 1)

    • 325.00
    • सरहपा के सूत्र साफ-सुथरे हैं। पहले वे निषेध करेंगे। जो-जो औपचारिक है, गौण है, बाह्य है, उसका खंडन करेंगे; फिर उस नेति-नेति के बाद जो सीधा सा सूत्र है वज्रयान का, सहज-योग, वह तुम्हें देंगे। सरल सी प्रक्रिया है सहज-योग की, अत्यंत सरल! सब कर सकें, ऐसी। छोटे से छोटा बच्चा कर सके, ऐसी। उस प्रक्रिया को ही मैं ध्यान…
    • Add to cart
  • Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2)Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2) Quick View
    • Sale!
      Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2)Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2) Quick View
    • Sahaj Yog, Vol. – 2 (सहज योग, भाग – 2)

    • 325.00
    • सरहपा और तिलोपा क्रियाकांड और अनुष्ठान को धर्म नहीं कहते। तुम पूछते होः कृपया बताएं कि उनके अनुसार धर्म क्या है?' वैसा चैतन्य, जिसमें न कोई क्रियाकांड है, न कोई अनुष्ठान है, न कोई विचार है, न कोई धारणा है, न कोई सिद्धांत है, न कोई शास्त्र है। वैसा दर्पण, जिसमें कोई प्रतिछवि नहीं बन रही--न स्त्री की, न पुरुष…
    • Add to cart
  • SAHAJ YOG( Complete)SAHAJ YOG( Complete) Quick View
    • Sale!
      SAHAJ YOG( Complete)SAHAJ YOG( Complete) Quick View
    • ,
    • SAHAJ YOG( Complete)

    • 600.00
    • सिद्धों का एक महान संदेश, ‘जागो’, ओशो की वाणी द्वारा इन प्रवचनों में और भी अधिक मुखरित हुआ है। ओशो कहते हैं : ‘‘जागो, मन जागरण की बेला! और जागरण की बेला हमेशा है। ऐसा कोई क्षण नहीं जब तुम जाग न सको। ऐसा कोई पल नहीं जब तुम पलक न खोल सको। आंख बंद किए हो यह तुम्हारा निर्णय…
    • Add to cart
  • Samadhi Ke Sapt Dwar Quick View
    • Sale!
      Samadhi Ke Sapt Dwar Quick View
    • Samadhi Ke Sapt Dwar

    • 1,250.00
    • ‘यह पुस्तक आंख वाले व्यक्ति की बात है। किसी सोच-विचार से, किसी कल्पना से, मन के किसी खेल से इसका जन्म नहीं हुआ; बल्कि जन्म ही इस तरह की वाणी का तब होता है, जब मन पूरी तरह शांत हो गया हो। और मन के शांत होने का एक ही अर्थ होता है कि मन जब होता ही नहीं। क्योंकि…
    • Add to cart
  • Sambhog Se Samadhi Ki AurSambhog Se Samadhi Ki Aur Quick View
    • Out of Stock
      Sale!
      Sambhog Se Samadhi Ki AurSambhog Se Samadhi Ki Aur Quick View
    • ,
    • Sambhog Se Samadhi Ki Aur

    • 750.00
    • ‘जो उस मूलस्रोत को देख लेता है...’ यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है: ‘वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है।’ वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है। जिसको मैंने ‘संभोग से समाधि की ओर’ कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं। एक तो रति है मनुष्य की—स्त्री और पुरुष की।…
    • Read more
  • Sambhog Se Samadhi Ki Aur (संभोग से समाधि की ओर) Quick View
    • Sale!
      Sambhog Se Samadhi Ki Aur (संभोग से समाधि की ओर) Quick View
    • ,
    • Sambhog Se Samadhi Ki Aur (संभोग से समाधि की ओर)

    • 325.00
    • पुस्तक संभोग से समाधि की और में, ओशो ने पाठक को संभोग और गर्भाधान के समय से लेकर मृत्यु तक मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के बारे में बताया। ... संभोग से समाधि की और में, वह यह भी बताते हैं कि कितने लोग काम से नहीं बच सकते हैं और लोगों को इससे नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि यह जीवन की…
    • Add to cart
  • SAMBHOG SE SAMADHI KI AUR/SEX TATYA EVAM BRANTIYA (2 BOOKS) Quick View
    • Sale!
      SAMBHOG SE SAMADHI KI AUR/SEX TATYA EVAM BRANTIYA (2 BOOKS) Quick View
    • ,
    • SAMBHOG SE SAMADHI KI AUR/SEX TATYA EVAM BRANTIYA (2 BOOKS)

    • 550.00
    • "जो उस मूलस्रोत को देख लेता है..." यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है : वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है। वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है। जिसको मैंने, " संभोग से समाधि की ओर " कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं | एक तो रति है मनुष्य…
    • Add to cart