Samadhi Ke Sapt Dwar
₹1,250.00
‘यह पुस्तक आंख वाले व्यक्ति की बात है। किसी सोच-विचार से, किसी कल्पना से, मन के किसी खेल से इसका जन्म नहीं हुआ; बल्कि जन्म ही इस तरह की वाणी का तब होता है, जब मन पूरी तरह शांत हो गया हो। और मन के शांत होने का एक ही अर्थ होता है कि मन जब होता ही नहीं। क्योंकि मन जब भी होता है, अशांत ही होता है।’ ‘जहां मन खो जाता है वहां आकाश के रहस्य प्रकट होने शुरू हो जाते हैं।’ ‘ब्लावट्स्की की यह पुस्तक ऐसी ही है। हवा का एक झोंका है ब्लावट्स्की। और कोई उससे बहुत महानतर शक्ति उस पर आविष्ट हो गयी है, और वह हवा का झोंका इस सुगंध को ले आया है।’ ‘इस पुस्तक के एक-एक सूत्र को समझपूर्वक अगर प्रयोग किया, तो जीवन से वासना ऐसे झड़ जाती है, जैसे कोई धूल से भरा हुआ आये और स्नान कर ले तो सारी धूल झड़ जाए। या कोई थका-मांदा, किसी वृक्ष की छाया के नीचे विश्राम कर ले और सारी थकान विसर्जित हो जाए।’ ओशो
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Additional information
Weight | 6279549 g |
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Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
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