Ek naya dwar
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निरीक्षण, ऑब्जर्वेशन चाहिए। क्या हो रहा है, उसे देखने के लिए पूरी सजगता होनी चाहिए। पूरे होश, पूरी अटेंशन से जो देखता है…। विज्ञान में ही निरीक्षण जरूरी है, ऐसा नहीं; धर्म में तो और भी ज्यादा जरूरी है। क्योंकि विज्ञान तो पदार्थों की खोज करता है, धर्म तो आत्मा की। विज्ञान में निरीक्षण जरूरी है, लेकिन धर्म में तो निरीक्षण और भी अनिवार्य है। विज्ञान बाहर के पदार्थों का निरीक्षण करता है, धर्म स्वयं के भीतर जो चित्त है उसका। चित्त का निरीक्षण करें। जागें, और जागें, और जागें और देखें चित्त को। देखते-देखते यह क्रांति घटित होती है और चित्त परिवर्तित हो जाता है। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: जीवन का क्या अर्थ है? सरलता का क्या अर्थ है? हमारा चित्त इतना जटिल क्यों हो गया है? चित्त को बदलने के उपाय कार्य के साथ चित्त की सजगता के उपाय
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Weight | 6279549 g |
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Dimensions | 6279940 × 627992749 × 627968449 cm |
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