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Satya Ki Khoj

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‘सत्य है तो स्वयं के भीतर है।’ इसलिए किसी और से मांगने से नहीं मिल जाएगा। सत्य की कोई भीख नहीं मिल सकती। सत्य उधार भी नहीं मिल सकता। सत्य कहीं से सीखा भी नहीं जा सकता, क्योंकि जो भी हम सीखते हैं, वह बाहर से सीखते हैं। जो भी हम मांगते हैं, वह बाहर से मांगते हैं। सत्य पढ़ कर भी नहीं जाना जा सकता, क्योंकि जो भी हम पढ़ेंगे, वह बाहर से पढ़ेंगे। सत्य है हमारे भीतर–न उसे पढ़ना है, न मांगना है, न किसी से सीखना है–उसे खोदना है। उस जमीन को खोदना है, जहां हम खड़े हैं। तो वे खजाने उपलब्ध हो जाएंगे, जो सत्य के खजाने हैं। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: · वास्तविक स्वतंत्रता क्या है? · शून्य है द्वार पूर्ण का · क्या जीवन एक सपना है? · संयम का अर्थ क्या है? CONTENTS अनुक्रम 1. परतंत्रता से सत्य की ओर 2. भ्रम से सत्य की ओर 3. श्रद्धा से सत्य की ओर 4. स्वप्न से सत्य की ओर 5. शून्य से सत्य की ओर

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Weight 6279549 g
Dimensions 6279940 × 627992749 × 627968449 cm